Randi Sex Stories – जैसी आप सबको पता है विराज और स्मित ने मुझे रंडी बना कर मेरी चुदाई करते थे। लेकिन फिर मैं किसी से बात नहीं करती थी। सिर्फ अपने भाईजान और उनके दो दोस्त ही मेरी चुदाई करते थे। मैं भी उनकी रंडी बन कर उनके लंड से अपना जिस्म की प्यास बुझाती थी। एक दिन की बात थी जब मेरी परीक्षाएं ख़त्म हो गई थीं और भाईजान भी घर पर थे।
फूपी कुछ काम से बाहर गई थी इस लिए भाईजान ने मुझे उनके घर पे बुलाया था। मैं रेडी होकर घर पे पहुच गयी। और जैसा हमेशा होता है उन्होंने मेरे कपड़े निकाल कर मेरे जिस्म को चूमने लगे। मेरे स्तनों को मसलते हुए मेरी चूत को सहला रहे थे। मैं भी उनके लंड को हाथो मसल के पैंट से बाहर निकाला। फिर वो मेरे बाल को पकड़ के मेरे मुँह की चुदाई करते हुए मुझे ज़लील करते जा रहे थे।
मैं भी ये सब सुनने के और गीली होती थी। इस लिए मैंने अपनी चूत को सहला के उसमें उंगली डाल दी थी। ऐसे थोड़ी देर के बाद उन्होंने मेरे मुँह से लंड निकाला और मुझे बिस्तर पर फेंक दिया। मेरे ऊपर आके मेरी चूत में एक ही झटके में लंड डाल दिया। मैं बस उनको देख के मुस्कुराने लगी। अब मैं बिल्कुल रंडी बन चुकी थी, अब कोई प्रॉब्लम नहीं थी मुझे चुदाई करवाने में। फिर 15-20 मिनट के बाद उन्होंने मेरी चूत से लंड निकाल के मेरे मुँह में अपना लंड डाल के वीर्य निकाल दिया। और मैं वो निगल गई मुस्कुराती हुई। भाईजान: सारा, तू अब एक नंबर की रंडी हो गई हो। मैं: (मुस्कुराते हुए) आप ने ही सिखाया है मुझे रंडी बनना। –
भाईजान: चल अब अच्छी छिनाल कुतिया की तरह मेरे लंड को फिर से हार्ड कर। मैं उनके लंड को अपनी जुबान से चाट रही थी। उनका लंड मेरे थूक से ढक कर चुका था। फिर उनके लंड से मेरे मुँह कु चुदाई शुरू कर दी। थोड़ी देर तक चुदाई करने के बाद मुझे बिस्तर पर फेंक दिया। मैंने अपने दोनो पैरो को फैलाया और चूत को भी अपने हाथों से खोल दिया।
भाईजान ने लंड को एक ही बार में पूरा घुसा दिया और मैं चिल्लाने लगी। लेकिन मुझे मजा भी बहुत आ रहा था। भाईजान तेज़ी से मेरी चुदाई करते हुए मुझे ज़लील कर रहे थे। मैं भी जोर जोर से चिल्ला रही थी। तब ही फुपी रूम में आ गई|
फुपी: (गुस्से में थी) अयान, ये क्या कर रहे हो? भाईजान डर गए फूपी को देख के। और उन्होंने अपने आपको कम्बल से ढक लिया। मैं वही बिस्तर पर नंगी थी, मुझे समझ में नहीं आया क्या करु। सब कुछ इतना तेज़ हुआ. मेरी नज़र फुपी पे है और उनकी मुझपे। – Hindi X Stories
फूपी: सारा ये तू है! तुझे ज़रा भी शर्म नहीं आई अयान के साथ ये सब करते हुए। जल्दी से कपड़े पहनो और अपने घर पे जाओ। तेरी खबर तो घर पे आके लुंगी। अब उनका गुस्सा मेरे पे था। मैं बिना कुछ बोले, तेज़ी से अपने कपड़े पहनकर घर पे चली गई। घर पे कुछ बोले बिना अपने कमरे में बैठी रही। मुझे पता था कि फूपी को एक और मौका मिल गया है तो वो कभी भी हंगामा करने आएगी। लेकिन अब मैं कर भी क्या सकती थी। और जब शाम को अब्बू के आते ही फूपी भी आ गई। तब घर में मम्मी भी थी। फुपी: भाईजान, आप अपनी बिगड़ैल बेटी को समझ दो कि मेरे बेटे अयान से दूर रहें। अब्बू: हुआ क्या है आपा, ये तो बताओ?
फूपी: मुझे तो बोलते हुए भी शर्म आ रही है, लेकिन आपकी बेटी को करते हुए भी नहीं आई। जरूर तेरी बीवी की साजिश होगी सब। मम्मी: आपा, एक बार शांति से बात करते हैं। कहो कुछ गलतफहमी हुई होगी।
फूपी: तू तो चुप ही रह साली। पहले ही तू मेरे भाई को खा गई अब तेरी बेटी मेरे बेटे के पीछे है।
अब्बू: आपा, ये सब क्या बोल रही हो। कुछ बताओ तो सही। मैं सब कुछ सुन रही थी अपने कमरे से और तब ही मम्मी ने मुझे आवाज़ दी। मैं उनके सामने सर झुकाके खड़ी हो गई।
मम्मी: फूपी क्या बोल रही है? क्या किया है तूने? (मैं अभी भी बिना कुछ बोले खड़ी हूं)
फूपी: ये क्या कुछ बोलेगी, मैं बताती हूं आपकी बेटी के कारण।
अब्बू और मम्मी मुझे गुस्से से देख रहे थे लेकिन कन्फ्यूजन भी इतने ही थे।
फूपी: आपकी ये लाडली बेटी को मैंने बेड पर पकड़ा है मेरे बेटे के साथ। वो भी बिना कपड़ो के।
मम्मी: आपा, ये क्या बोल रही हो आप, सारा ऐसा…
फूपी: मैंने खुद इसे देखा है मेरे घर पे, इसे ही पूछ लो।
मम्मी: सारा, क्या फूपी सच बोल रही है? (मैं अभी भी सर झुकाके चुप हूँ)
फूपी: जैसी माँ वैसी बेटी। दोनो की दोनो रंडिया।
अब्बू: आपा, प्लीज आप ज्यादा मत बोलिए और हमें कुछ वक्त दीजिए।
फूपी वहा से चली गई और अब्बू अब कुछ बोल नहीं रहे थे।
मम्मी मुझे गुस्से से देख रही थी और मैं बिना कुछ बोले वहीं खड़ी हूं।
फिर मम्मी मुझे कमरे में ले गई।
मम्मी: सारा, अब तू मुझे बताएगी ये सब क्या था? तेरी फुपी क्यों आके चिल्ला के गई हम सब पे?
मैं: मम्मी, फूपी जो बोल के गई वो सच है। मम्मी रोने लगी और मैं उनको गले लगाने के लिए बैठी रही।
अब्बू को भी बता दिया और सब टेंशन में थे। मैं ऐसा बोला था कि मैं भाईजान को पसंद करता हूं और अपनी मर्जी से वो सब करता था। फिर उन्होंने सोचा मेरा और भाईजान का निकाह करवा दे।
लेकिन फुपी हमने को सुना नहीं लगी कि मेरी जैसी रंडी औलाद से अच्छा उनका बेटा कवरा ही रहे। मेरी जैसी बदचलन को वो कभी नहीं अपनाएगी। मुझे पता था भाईजान सिर्फ मेरी चुदाई करते हैं। वो मुझसे कभी ख़ुशी ख़ुशी निकाह नहीं करते। और फिर फूपी मेरा जीना हराम कर देती निकाह के बाद।
इस लिए मैंने मना कर दिया कि मुझे भाईजान से निकाह नहीं करना। मैं सिर्फ अपनी जिस्मनी भूख मिटाने के लिए उनके साथ थी और कुछ नहीं। उस दिन के बाद मेरा घर से निकल ना काम हो गया। अब्बू मेरे से कभी-कभी ही बात करते थे और मम्मी भी नाराज़ ही रहती थीं।
फूपी भी पूरे मोहल्ले में बात फैला दी कि मैं रंडी हूं और नजाने कितनों के साथ सोई हूं। अपने भाईजान को भी फंसाया था मेरे जाल में लेकिन वो बच गया। उसके बाद जब भी मैं बाहर निकलती सब मुझे गालियां देते। जैसे “चल सारा मेरा भी बिस्तर गरम कर दे जैसा अपने भाईजान का करती हो।” “देख रंडी माँ की रंडी बेटी।”
“मेरे घर पे आजा, आज कोई नहीं है।” ये सब होने के बाद भी मेरी चुदाई नहीं रुकी। भाईजान और उनके दो दोस्त अभी भी मेरी चुदाई करते थे। लेकिन अब अमन के घर पे तीनो मेरी चुदाई करते थे। अब सारे मोहल्ले और खानदान को पता चल ही गया है मेरे नंगे में तो मेरे में भी ज्यादा शर्म बाकी नहीं।
उसके बाद मैं उच्च अध्ययन के लिए दूसरे शहर में चली गई। क्योंकि मेरी वजह से मम्मी और अब्बू को भी सब सुनना पड़ता था। यह मेरे जीवन की एक और कहानी है। आशा है आपको इसे पढ़ने में आनंद आएगा। यदि आपको कहानी पसंद आई या कोई टिप्पणी हो तो मुझे अवश्य बताएं।